ब्लड कैंसर के इलाज की दिशा में अच्छी खबर है। नई रिसर्च के मुताबिक अंगूर का अर्क ब्लड कैंसर के लिए जिम्मेदार ल्यूकेमिया सेल्स को मरने के लिए मजबूर कर देता है। यूनिवर्सिटी ऑफ केंटुकी के शोधकर्ताओं ने पाया है कि इस अर्क के इस्तेमाल के 24 घंटे के भीतर ही ल्यूकेमिया की 76 फीसदी कोशिकाएं मर जाती हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि अंगूर का यह अर्क जेएनके को सक्रिय कर देता है। जेएनके एक ऐसा प्रोटीन है जो सेल की मौत की प्रक्रिया को संचालित करता है।
हालांकि अंगूर के अर्क ने इसके पहले त्वचा, स्तन, आंत, फेफड़ा, पेट व प्रोस्टेटग्रंथि के कैंसरों सहित कई सारे प्रयोगशाला कैंसर सेल में अपना असर दिखाया था, लेकिन इस अर्क का ब्लड संबंधी कैंसर में कभी भी परीक्षण नहीं किया गया था। इस शोध पत्र के सह लेखक, ब्रिटेन में ग्रैजुएट सेंटर फॉर टॉक्सिकोलॉजी के प्रफेसर जियांगलिन शाइ ने कहा कि पहले के ये नतीजे ब्लड संबंधी कैंसर को रोकने या उसके इलाज में अंगूर के अर्क जैसे एजेंट्स के इस्तेमाल के लिए उलझनें पैदा कर सकते हैं।
हर व्यक्ति एक ऐसा रासायनिक एजेंट चाहता है, जो कैंसर कोशिका पर तो प्रभावी हो लेकिन सामान्य कोशिका को मुक्त छोड़ दे। इस लिहाज से यह स्पष्ट है कि अंगूर का अर्क इस कैटिगरी के लिए बिल्कुल उपयुक्त है। वर्ष 2006 में अमेरिका में ल्यूकेमिया, लिम्फोमा व मायलोमा जैसे ब्लड संबंधी कैंसर के कुल 1,18,310 नए मामले सामने आए। इनमें से 54,000 मामलों में रोगियों की मौत हो गई। स्त्रोत : नव भारत टाइम्स, ०१.०१.२००९
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