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Monday, 5 March 2012

लाइलाज बीमारियों की दवा-हड़बड़ाहट छोड़ें

खाना खाते समय बस इतनी सी बात ध्यान रख लेंगे तो कभी मोटे नहीं होंगे! भागती दौड़ती दुनिया में समय की कमी के कारण हड़बड़ाहट हर क्षेत्र में देखी जा सकती है। किसी को ऑफिस पहुंचने की जल्दी है, तो किसी की ट्रेन या बस पकडऩे की जल्दी, क्या बच्चे, क्या जवान, बस हड़बड़ाहट ही हड़बड़ाहट, तनाव ही तनाव।

हमारे पूर्वजों की जीवनशैली को देखा जाय,तो उन्हें शायद इस प्रकार की हड़बड़ाहट नहीं थी, तभी तो उनकी औसत उम्र हमसे कहीं अधिक थी। ज्यादा पुरानी बात नहीं है ,आप गुजरे जमाने की ब्लैक एंड व्हाईट फिल्मों को ही देख लें ,प्रेमियों और प्रेमिकाओं के पास प्यार के तराने गाने के लिए भी फुर्सत के क्षण थे ,पर आज इस क्षेत्र में भी हड़बड़ाहट साफ देखी जा सकती है। 

इन सबका प्रभाव हमारी दिनचर्या पर पड़ता है, चाहे वो खाना हो,या ठीक ढंग से सोना। बड़े बुजुर्गों ने कहा था कि खाना हमेशा तनाव मुक्त होकर धीरे-धीरे चबाकर खाना चाहिए, पर आज इसकी भी फुर्सत कहां। लेकिन हमारे बुजुर्गों की बातों को आज के वैज्ञानिक भी अक्षरश: दुहरा रहे हैं। धीरे-धीरे चबाकर खाने से आपके द्वारा लिए गए भोजन का संतुलित पाचन तो होता ही है, साथ ही वजन कम करने में भी मदद मिलती है। यूनिवॢसटी ऑफ रोड आईलैंड के शोधकर्ताओं के दो अध्ययन इस बात को प्रमाणित कर रहे हैं।

इस अध्ययन में यह पाया गया है , कि पुरुषों की हड़बडाहट खाने-पीने के मामलों में महिलाओं की अपेक्षा अधिक होती है, ठीक ऐसे ही मोटे लोगों की हड़बड़ाहट दुबलों की अपेक्षा खाने-पीने में अधिक पायी गयी है। यह भी देखा गया है, कि हम साबुत अनाज की अपेक्षा रीफाईंड अनाज को जल्दी खा लेते हैं। एसोसियेट प्रोफेसर आफ न्युट्रीसन केथलीन मीलेंसन एवं स्नातक छात्रा एमेली पोंटे एवं अमान्डा पोंटे का यह शोध अध्ययन ओरलेंडो में हुए ओबेसीटी सोसाइटी के सालाना कांफ्रेंस में प्रस्तुत किया गया है।