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Monday 7 October 2013

माइग्रेन

माइग्रेन से महिलाएं होती हैं अवसाद ग्रस्त!

ह्यूस्टन : जिन महिलाओं को माइग्रेन की समस्या है या कभी रही है उनके अवसाद ग्रस्त होने की संभावना सामान्य महिलाओं की तुलना में ज्यादा होती है।

कल ही जारी हुए एक अनुसंधान के परिणाम के मुताबिक माइग्रेन से ग्रस्त महिलाओं के अवसाद ग्रस्त होने की संभावना सामान्य महिलाओं की तुलना में करीब 40 प्रतिशत अधिक होती है।

अमेरिकन अकादमी ऑफ न्यूरोलॉजी के एक फेलो टोबियस कुर्थ का कहना है, माइग्रेन की समस्या और उसके कारण अवसाद ग्रस्त होने के बारे में यह पहला सबसे बड़ा शोध है।

उन्होंने कहा, हमें आशा है कि हमारे अनुसंधान के परिणाम के बाद डॉक्टर अपने माइग्रेन ग्रस्त मरीजों से अवसाद के रिस्क के बारे में बात कर सकेंगे और उन्हें अवसाद से बचाव के तरीकों के बारे में बात कर सकेंगे। (एजेंसी)
Source : Zee News India Dot Com. Thursday, February 23, 2012,
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सिर्फ आपके सिर को तकलीफ देता है माइग्रेन

वाशिंगटन : महिलाओं के स्वास्थ्य पर किए गए एक नये अध्ययन के मुताबिक माइग्रेन से सिर्फ बर्दाश्त न करने लायक सिरदर्द होता है और यह हमारी बोध क्षमता से जुड़ा हुआ नहीं है। ब्रीघम एंड वूमेंस हॉस्पिटल द्वारा किए गए एक नये अध्ययन के मुताबिक माइग्रेन बोध क्षमता में कमी से जुड़ा हुआ नहीं है।

गौरतलब है कि माइग्रेन से करीब 20 फीसदी महिला आबादी प्रभावित है। मुख्य अध्ययनकर्ता पामेला रीस्ट ने बताया कि माइग्रेन और बोध क्षमता में कमी पर किए गए पूर्व के अध्ययनों में इन दोनों के बीच संबंध होने की पुष्टि क्षीण मात्रा में ही हो सकी।

उन्होंने बताया कि उनका अध्ययन यह निष्कर्ष निकालने के लिए अहम है कि माइग्रेन तकलीफदेह तो होता है लेकिन इसका बोध क्षमता में कमी से कोई संबंध नहीं है। (एजेंसी)
Source : Zeenews.india Dot com, Saturday, August 11, 2012, 22:
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मोटापा से माइग्रेन का भी खतरा

वॉशिंगटन।। कहते हैं कि मोटापा कई बीमारियों का घर है। हाल ही में हुई एक नई स्टडी में खुलासा हुआ है कि इसकी वजह से माइग्रेन (एक तरह का सिरदर्द) का खतरा भी रहता है।

रिसर्च में पता चला है कि नॉर्मल वजन वालों के मुकाबले मोटे लोगों में माइग्रेन का खतरा 81 फीसदी ज्यादा रहता है। अमेरिकी रिसर्चरों ने पाया कि मोटे लोगों में पुराने या कभी-कभी होने वाले दोनों तरह के माइग्रेन का खतरा रहता है।

बाल्टीमोर के जॉन्स हॉपकिंस यूनिवसिर्टी के स्कूल ऑफ मेडिसिन्स में यह रिसर्च किया गया।
स्त्रोत : नव भारत टाईम्स, १२. ०९. २०१३

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